मेरा जोरो
जिंदादिली की मिसाल थे तुम
स्वामीभक्ति में कमाल थे तुम
शरारत तुम्हारी आंखों में
खेल कूद तुम्हारे रग रग में
परिवार से नाता अटूट
औरों में भरा डर कूट कूट
हम सब से असीम प्यार
स्वामी भक्ति अपरमपार
अकेला रहना न भाया तुम्हें
जंजीरों में बंधना न आया तुम्हें
स्वतंत्र थे, स्वच्छंद थे तुम,
घर में जैसे सर्वस्व थे तुम
वैसे भी मनीषा के रहते कोन छू सकता तुम्हें
और बाहर किसी की हिम्मत न थी छू दे तुम्हें
न जाने कहां चले गए हो तुम
दिल ढूंढ़ता रहता तुम्हें हो गुमसुम
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