Tuesday, August 20, 2024
उद्वेलित मन
अविरल
अविरल
राजीव 'रंजन'
अविरल जीवन की धारा
अनजान हैं इसकी राहें
अनवरत है चलते जाना
अनंत की फैली बाहें
अज्ञानता खड़ी मुंह बाए
पथ अंधकार बनाने को
है बुद्धि विवेक सहारा
ज्योति सर्वत्र फैलाने को
यह काल चक्र अविरल है
अनंत से अनंत तक फैला
ब्रह्मांड इसी में सिमटा
रहता है राज लिए गहरा
अविरल श्रृष्टि के हम सब
हैं क्षणिक काल की कृतियां
है नश्वर, सब है माया
उस कलाकार की वृत्तियां
क्षणभंगुर है यह जीवन
आशाओं में हर पल लिपटा
महत्वाकांक्षाएं लिए अनंत
है अपने आप में सिमटा
सागर की अविरल लहरें
ललचातीं क्षणिक मिलन को
कूलों को छू भर आतीं
जातीं वो लौट मगन हो
लालिमा क्षितिज पर छाई
थक अस्त हुआ दिवाकर
फिर प्रातः पुनः निकलना
आशा भर जाता प्रभाकर
जीवन की इस बगिया में
उस व्यक्ति का मिल जाना
जो स्नेह करे न्योछावर
वसंत का ज्यों है आना
है मिलना और बिछड़ना
सिक्के के दो बस चेहरे
दिन और रात हैं जैसे
समय के राज वो गहरे
पाकर वो स्नेह तुम्हारा
भीगा अंत: मन मेरा
अघा गया हूं तब से
मैं चिर कृतध्य हूं तेरा
शिव शंकर
शिव शंकर
(राजीव 'रंजन')
हे नीलेश्वर अलख निरंजन प्रतिपालक शिव शंकर हे
नीलकंठ नीलाद्री निलोत्पल, नागार्जुन नागेश्वर हे
त्रिलोकनाथ त्रिगुणा त्रिदेव त्रिपुरारी त्रिनेत्र त्रिकालेश्वर हे
अनादि अनुपम अगम्य अव्यय अखिलेश ओम ओंकारेश्वर हे
तुम अनंत जग पालनकर्ता विश्वनाथ सर्वेश्वर हो
मां गौरी के उमापति, कार्तिक गणेश के पिता जो हो
"शि" से तुम अभयदानी करुणाकर और पाप विनाशक हो
"व" में है वह शक्ति निहित, भक्तों के कष्ट निवारक हो
ब्रह्मा की उत्पत्ति तुमसे , सृष्टि के हो तुम सृजन हार
विष्णु तुम हो, पालनकर्ता, विश्व के हो तुम परम आधार
समुद्र मंथन से उदित हुआ मानव के पापों का गरल
कंठागत, विनाशक विष किया, हे नीलकंठ, सहज ही सरल
त्रिनेत्र खुला, तोड़ा जो ध्यान तुम्हारा, कामदेव भश्म हुए
महाकाल विकराल का तांडव नृत्य फिर नटराज ने किए
ध्वस्त हो रही थी सृष्टि, जब देवी मां ने तुम्हें शान्त किया
मां शक्ति के आग्रह पर, कैलाश से आ काशी में वास किया
हे शिव शंकर, शिव लिंग है द्योतक सृष्टि के सृजन शक्ति का
ध्यानमग्न रहते तुम निरंत र समपुर्ण भक्ति से उस शक्ति का
नमन हमारा, हे यजामह, कल्याण मार्ग पर मैं चल पाऊं
पा प्रसाद तुम्हारा हे प्रभु! अखंड ज्योति में समा जाउं
Thursday, August 8, 2024
दुआ
Thursday, August 1, 2024
अभिलाषा
हमारे राम
New York /न्यूयॉर्क
New York
New York is a city that never ever sleeps
Patience and fortitude it always keeps
Millions make it their home and earn a living
It integrates everyone and is always forgiving
It has something for everyone who is here
Parks, museums, tours on boats at the piers
Jobs, businesses, shows, exhibitions galore
A crucible for people from all over and more
A hope it ignites, and passions burn bright
Creativity, innovations, experiments excite
Many a dreams are made and ummade
And fortunes won and lost in trade
A financial capital of the world it is called
International institutions have HQ sprawled
It is a fine example of human ingenuity
Getting ahead with innovations in perpetuity
न्यूयॉर्क
ऊंची-ऊंची इमारतें, अट्टालिकाएं रात में जगमगातीं जैसे तारे
चोडी-चौड़ी सड़कें, पार्क, नदी का किनारा लगते कितने प्यारे
न्यूयॉर्क की छटा है कितनी मनमोहक, अद्वितीय और न्यारी
पहली नजर में रहते भौचक्के, सब लगती कितनी प्यारी-प्यारी
विश्व भर से आते लोग यहां घूमने, रहने और भाग्य आजमाने
आंखों में सपने लिए प्रगति की और अपना भविष्य बनाने
सभी रहते हर वक्त जल्दी में और दिखते कितने मसगूल
तेज कदमों से करते पार सड़क, भीड़ के बीच, जाते दूर
टाइम स्क्वायर की बात निराली, हर ओर है चमक दमक
खेल, तमाशा, बिल बोर्ड, टूरगाइड और सैलानियों की चहक
सपनो का शहर, जिंदा हर पहर, समाए आकांक्षाओं की लहर
न जाने किन रस्तों से चल, पहुंचा यहां, सहकर कितने कहर