राजीव 'रंजन'
विचारों की आंधियां उद्वेलित करती मन को
भावनाओं का बवंडर झकझोरता है तन को
कभी मन भटकता, स्मृतियों के गलियारों में
कभी खो जाता, सपनो के मोहक चौबारों में
मन के अथाह सागर में उठते हर पल तूफान
यादों के ज्वार-भाटे या फिर सपनो की उडांन
आंधियां कहां कभी किसी के बस में रहती हैं
बहती हैं, राहों से कई व्यवधान, संग ले उड़तीं हैं
मन और आंधी को बस में करना है नहीं आसान
गीता में, अर्जुन ने प्रश्न किया, तो बोले भगवान
निश्चय ही कठिन है मन को वश में करना संजय
पर है नहीं असंभव, और नहीं इसमें कोई संशय
नित्य अभ्यास और वैराग से मिल सकता है समाधान
व्यक्ति के पास निर्णायक शक्ति, ऐसा प्राकृतिक प्रावधान
किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु का अगर होंने न देंगे असर
अपनी सोच, और भावनाएं रखेंगे नियंत्रित और प्रखर
वर्तमान में रह, आज पर हो केद्रित विचार और व्यवहार
विवेक, प्रारब्ध, परिश्रम, और त्याग हो हमारा आचार
अपने अंदर छुपी अनंत शक्तियों पर हो भरोसा अटूट
तो मनुष्य जीवन का भरपूर आनंद ले सकता है लूट
सारी शक्तियां निहित हम सब में, नाहक हम रहते अशांत
भावना, सोच, और कर्म बदल लें , मन हो जाएगा शांत
नोएडा
16 मई 2024
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