Thursday, September 14, 2023

रिस्ते - हिन्दी कविता राजीव 'रंजन'

रिश्ते
(कुछ खास रिश्तों को सस्नेह समर्पित)
राजीव 'रंजन'

रिश्ते   नाते   दिल   से   आते, अपनी    राह   स्वयं   बनाते
खून  के  रिश्ते धन  दौलत पर अक्सर क्यूं  बिखर  हैं  जाते

लघु  जीवन की यही कहानी कहीं  धूप  कहीं  छांव सुहानी
जीवन पथ पर कुछ लोग मिलते हर लेते सब चिंता परेशानी

भावनाओं  से ओत  प्रोत, लाभ  हानि  से  अलग थलग  से
रिश्तों में नि:स्वार्थ भाव से, स्नेह सरिता का प्रवाह बहाव ले

बिरले  ऐसे  लोग हैं मिलते  दिल से दिल  की बात हैं  कहते 
नहीं मिलता दिल किसी से, तो  कुछ  दिल  से  नहीं  मिलते

रिश्तों की भी अजीब कहानी, उम्मीद जहां वहां होते बेमानी
मधुर रिश्ते नेमत जीवन के, इन्हें खो देना बहुत बड़ी नादानी

हम सब प्रणय  की लिए  पिपासा  फिरते अक्सर इधर उधर
कोई  उम्र  भर  करे  नि:स्वार्थ स्नेह  बिना  किए  अगर मगर

उम्मीद  दूसरों  से  रखते, करेगा  वो   हमसे  अनुराग  प्रबल
प्रणय का अक्षुण्ण नियम पर, स्वयं दो स्नेह प्रथम  निश्च्छल 

नोएडा
24/03/2023

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