Saturday, November 9, 2024

आस - हिन्दी कविता राजीव 'रंजन'

आस

एक   आस   मन   में  जगा   कर
एक   सोच   मन   में   बैठा   कर 

विश्वास    स्वयं    में    बढ़ा    कर 
भविष्य   कल्पना  से   सजा  कर

धर  नित्य   कदम   कुछ पथ  पर
बढ़   चला  मैं   अपने  लक्ष्य   पर

कष्ट  अनेकानेक   भी    सह  कर 
डटा  रहा  हर  हाल  में  जम  कर 

स्नैह   स्नैह   पथ     हुआ  प्रशस्थ
रास्ता  भी  कटता   दीखा  समस्त

पथ के कष्ट  भी अब  हुए आसान
सब संभव है अगर लें  मन में ठान

राजीव 'रंजन'
04 दिसम्बर 2022

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