Tuesday, April 9, 2024

दोस्त

दोस्त
(राजीव 'रंजन')

दिल  के  सारे रिश्ते  ये, कहां समझ  में आते  हैं।
मन से मन की बातें हैं, दिल से  दिल को भाते हैं।। 

कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो दिल के करीब रहते हैं।
वर्षों के कुछ रिश्ते‌ हैं, जो बड़े नसीब  से बनते  हैं।।

खुलकर  इनमें  हंसते  हैं,  बातें  मन की  करते हैं।
अच्छे  हों या  बुरे  मगर,  कहां  विचारा  करते  हैं।।

बातों  में  कुछ  अल्हड़पन, मस्ती  और शरारत  है।
जीवन भर का साथ इनका,दोस्ती बड़ी नियामत है।।

जिंदादिली इन रिश्तों में, गर्मजोशी इन फरिश्तो में।
दोस्त  ही  इस  जीवन  में,  ले  जाते हैं बहिश्तों  में।। 

अर्थ 
(नियामत - ईश्वर का दिया हुआ वैभव, धन सम्पत्ति
बहिश्तों - जन्नतों, स्वर्ग, heaven)