Saturday, January 20, 2024

एक रंग

एक रंग

एक   रंग   मैं   चला   ढूंढने
बाकी  सब  मैं   बिसर  गया
ढूंढा   जब   स्नेह   का   रंग
जीवन   सारा   निखर   गया

जीवन   की   आपाधापी  में
कांटे      चुभे      अनेकानेक
बैठे  रहते  अगर  दर्द   गिनते 
दर्द   का   ही  होता  अतिरेक

चिंताओं  से   किया   किनारा 
खुशियां  मिलीं   फिर   अनेक 
दुविधाएं  जो  रखते   मन   में 
खो     देते     अपना    विवेक 

प्रकृति   की  यह   सच्चाई  है
विचारों  से  ही  धुलता  है  रंग
मन  को  अगर  वश में कर लें
जीवन   न   हो   कभी  बदरंग

अर्जुन    ने   पूछा    गीता   में
मन  वश  में करना  है  कठिन
समझाया     कृष्ण    ने    तब
संभव है अभ्यास से निस दिन 

राजीव 'रंजन'
२० जनवरी २०२३