Saturday, September 20, 2025

मेरे बच्चों तुम मेरी आँख हो

मेरे बच्चों तुम मेरी आँख हो

राजीव रंजन

मेरे बच्चों तुम मेरी आँख हो

तुम्हारी नज़रों से मैं ये दुनियाँ देखूँगा

फिर तुम्हारे बच्चों की नज़रें होंगी

और फिर उनके बच्चों की

मेरी नज़र न होगी पर पीढ़ी दर पीढ़ी

कोई तो आँख होगी देखती इन नज़ारों को

बाग़ होंगे, फूल होंगे, काँटे भी होंगे

प्रकृति यूँ ही चलती रहेगी

सदियों उन आँखो से मैं भी देखा करूँगा

जो रहेंगी इन वादियों को देखती

एक जुड़ाव बनाती मुझ तक

मैं रहूँ ना रहूँ ये आँखें रहेंगी

आँखों का यह सिलसिला चलता रहेगा

आँख बदलते रहेंगे, नज़ारे यूँ हीं रहेंगे

हम यहीं कहीं किसी ना किसी के आँखों में बस

अनंत तक दुनियाँ देखा करेंगे

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