Wednesday, September 10, 2025

नव वर्ष

नव वर्ष

राजीव “रंजन”

नव वर्ष नव हर्ष

नई सुबह नव उत्कर्ष

नवल कंठ नव विचार

नई सोच का हो संचार

नये आचार नया व्यवहार

नई चाह नये राह

नये सपनो का नव निर्माण

नव पंख हो प्रस्फुटित

नये उड़ान हों पंखुरित

देश हो नित्य विकसित

मन न संकीर्ण हो

और न विदीर्ण हो

उदार हो यह हृदय

सर्वदा, रहे सदय

पर दुःख में द्रवित हो

नाहक न भ्रमित हो

इन्सान सब एक हैं

सहृदय और नेक हैं

रंग रुप भिन्न हैं

पर हम अभिन्न हैं

सोच का बस फर्क है

पर बनाता नर्क है

सोच जो बदल ले हम

रहेगा कोई न भ्रम

पर सोच है कौन सही

यही तो प्रश्न है रही

प्रकृति के अनुरुप जो

मानवता के स्वरुप जो

प्यार का जो सबक दे

सौहार्द की बातें करे

उत्थान समाज का करे

प्रगति की जो राह चुने

विज्ञान जो समझ सके

लोगों को शिक्षित करें

स्वास्थ पर जो ध्यान दें

भूख से जो लड़ सके

ग़रीबी दूर कर सके

हर धर्म का यह मूल है

पर थोपता निर्मूल है

बैर में कब क्या मिला

मेल में सबका भला

स्वार्थ देता तोड़ है

परमार्थ देता जोड़ है

फैसला हम सब के हाथ

रहना तो है साथ साथ‍

सुख चैन शान्ति बनी रहे

संकल्प दृढ़ बनी रहे

नया वर्ष हो शु:भ सदा

यही कामना है सर्वदा

स्नेह से हैं भेज रहे

शुभकामनाएं सहेज रहे

🙏🙏💐🙏🙏

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