गरीब अमीर
राजीव रंजन
गरीब और अमीर का ऐतिहास झगड़ा चलता रहा है और चलता ही रहेगा।
इंसान में जब तक हैवानियत भरी है, तब तक नहीं रुका हैं नहीं रुकेगा ।।
हर युग में अलग अलग तरीकों से दिखता रहा है और दिखता ही रहेगा ।
हैवान और इंसान दोनों हमारे अंदर हैं , हम किसे उभरते है वो ही बढ़ेगा ।।
इंसान बनना है नहीं आसान, कांटो से भरी है राहें, बस इरादों की है बात।
हैवानियत शक्ति, वैभव, चमक दमक, और नियंत्रण की तिलस्मी है बिसात।।
आसान है, इंसान का इंसानियत के कठिन राह से लोभ, लालच में भटक जाना ।
भौतिक सुखों को भोग अपने लिए गरीबों के हक़ों को मार साम्राज्य तैयार कर पाना।।
पर बिरले ही औरों के दुखों से द्रवित हो,सब त्याग, जन सेवा में होते हैं समर्पित।
कठिन मार्ग चुन, सर्वस्व न्योछावर कर इंसानियत के लिए होते हैं व्यथित।।
प्रकृति और इंसानियत के नियम ही शाश्वत सत्य हैं ब्रह्मांड को सम्भाले।
हम कुछ भी कर लें, होना इन नियमों के अनुरूप ही है और इनके ही सहारे ।।
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