मेरे बच्चों तुम मेरी आँख हो
राजीव रंजन
मेरे बच्चों तुम मेरी आँख हो
तुम्हारी नज़रों से मैं ये दुनियाँ देखूँगा
फिर तुम्हारे बच्चों की नज़रें होंगी
और फिर उनके बच्चों की
मेरी नज़र न होगी पर पीढ़ी दर पीढ़ी
कोई तो आँख होगी देखती इन नज़ारों को
बाग़ होंगे, फूल होंगे, काँटे भी होंगे
प्रकृति यूँ ही चलती रहेगी
सदियों उन आँखो से मैं भी देखा करूँगा
जो रहेंगी इन वादियों को देखती
एक जुड़ाव बनाती मुझ तक
मैं रहूँ ना रहूँ ये आँखें रहेंगी
आँखों का यह सिलसिला चलता रहेगा
आँख बदलते रहेंगे, नज़ारे यूँ हीं रहेंगे
हम यहीं कहीं किसी ना किसी के आँखों में बस
अनंत तक दुनियाँ देखा करेंगे