क्या नाकाम इश्क ही, मुहब्बत की है मिसाल
लोगों का है वो ख्वाब जो खुद है इक सवाल
हदों को तोड़ ख़लिश सा अटका पड़ा दिलों में
आरज़ू के पंख पसार है उलझा पड़ा रिवाजों में
शीरी फरहाद, लैला मजनू, सोहनी महिवाल
हैं ये नाम, नाकाम इश्क के बेहतरीन मिसाल
क्यूं आम इंसान इश्क की मिसाल बन नहीं सकता
ज़िन्दगी से लड़ता प्यार का दामन थाम नहीं सकता
इश्क है चाहत, जो पनपता है, बढ़ता है धीरे-धीरे
अहसास बन छाता दिलों पर, उभरता है हौले-हौले
मीठी-मीठी बातों में छोटी-छोटी अदाओं में दिखता है
भीनी मुस्कान में, हर पल की सदाओं में झलकता है
जवां दिलों की धड़कन बन, उम्र के साथ आता है
प्यास जगाता हैं, चाहत बढ़ाता है, रोज तड़पाता है
चंचल मन, कहीं भटकता है, नयी चाह बन उभरता है
सपनों में लीन, सच से दूर, अनजान में अंटकता है
शादी-शुदा का भी तो इश्क है, उनके लिए बंदगी सा
रोजमर्रा के जद्दोजहद में भी करते हैं प्यार जिन्दगी
शादी है नहीं मकाम इस इश्क का, है यह आगाज
जिम्मेदारियों के बीच भी, प्यार का होता है परवाज
शादीशुदा का प्यार है फुलवारी जो मेहनत है मांगता
अपनापन की क्यारी, देखरेख और निगरानी है चाहता
सच्चाइयों की आग, जरुरतों की तपिश पर निखर
सोने की तरह, इश्क, जेवर सा ढल, बनता है प्रखर
बोली में मिश्री, आंखों में चाहत, दिल में बेकरारी
अटूट विश्वास, मन में आस, होंठों पे मुस्कान प्यारी
सुख में साथ, दुःख में बढ़ा, थामे मजबूती से हाथ
बीती बातें बिसार, प्यार की राह पर, रहता है साथ
दिखता जितना, शादीशुदा का इश्क, नहीं आसान उतना
जो है जैसा,अपना, रोज़ प्यार जताना, है मुश्किल कितना
विश्वास के पाये, आदर की दीवार, स्नेह की छत चाहिए
प्यार के परिंदे को आशा के पंख,सपनो का आकाश चाहिए
इश्क के घरौंदे में साथ-साथ रहना, पास-पास नहीं होता
दिलों में खिंच, अनजान सी कसक का अहसास दे जाता
आंखों से निकल, भीनी मुस्कान बन होंठों पे खिंचता है
जीवन में हर पल निखर, संवरता है, खुशियों में खिलता है
प्यार भरा दाम्पत्य, सुख के सपनो को साकार किए होगा
सौहार्दपूर्ण माहौल बना, अभावों से परे, जीवन जिए होगा
जिम्मेदारियां बखूबी निभा, संतानों को सबक दिए होगा
भविष्य गढ़ा होगा, चाहत भरा होगा, स्नेह जिए होगा
राजीव सिंह
नोएडा
जनवरी २०२०
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