Friday, May 31, 2024

खिलौने

खिलौने
राजीव 'रंजन'

बचपन में,  हम सब मचल उठते थे खिलौनो के लिए 
वो मिट्टी की छोटी रंग-बिरंगी गाड़ी
जब चलती, ढ़ोल बजता
वो तोते, जिनके लटक घुमाने पर, चोंच मारते
बड़े हुए, फुटबॉल और क्रिकेट ने स्थान लिया 
कंचों की तो बात न पूछो
ढेरों इकठ्ठा करते
तरह तरह के डिजाइन वाले
लट्टू, पतंग, मांझे, गिल्ली डंडा कितना भाते 
उम्र के साथ खिलौने बदलते गए 
मोबाईल अब नए खिलौने हैं
एक दूसरे को बस खूबियां गिनाते हैं
नए माॅडल के लाॅन्च होते ही मचल उठते हैं
अगर आईफोन हाथ में हो, और वो भी लेटेस्ट
तो फिर क्या बात, आप शेर हैं इस जंगल के
झलका लें उसका जितना चाहें
ऐंड्रॉयड वाले लाल पीले हुए जाते हैं
उसकी ढेरों खूबियां गिनाते हैं
और आईफोन की कमियां दर्शाते हैं
गाड़ी की तो बात ही मत पूछो
मेरी दादी कहतीं, "गाड़ी का मजा तब है"
"जब निकलें तो औरों की नजर उठ जाए" 
नौकरी वाले, रिटायर्ड , व्यापारी या नेता
सब अपनी गाड़ी झलकाते जरुर हैं
गाड़ियों में बकायदा जाति प्रथा है 
आउडी और फरारी वाले फर्र से निकल जाते हैं
खास हैं, आम की तरफ ताकते भी नहीं 
एक आध कुचल भी गए तो कोई बात नहीं
व्यवस्था उनकी है, कौन पूछेगा उनसे
थोड़ा शोर मचाकर सब चुप हो जाएंगे
कोर्ट कचहरी में वर्षों लग जाएंगे
काबिल वकील उन्हें बचा लाएंगे
सब पैसे और पावर  का खेल है
आज कल जिसे देखो घर को स्वर्ग बनाने में लगा है
आर्किटेक्ट, इन्जीनियर, डिजाइनर करतब दिखा रहे हैं
गेटेड़ कम्युनिटी, कल्ब हाउस, गार्ड, पार्क, जिम
गरीब को उसकी औकात दिखा रहे हैं??
और वे स्वर्ग के गेट पर ही रोके जा रहे हैं
गरीब हर तरफ - सड़कों पर, खेतों में, फैक्ट्रियों में 
उनके स्वर्ग की व्यवस्था बनाने में लगे हैं
अपने जीवन के जद्दोजहद में पिसते
लाचारी और परेशानियां से जूझते 
जीवन से अपना रिस्ता निभा रहे हैं
और हम अपने खिलोनों में मशगूल, बेखबर से
अपने अपने खिलोनों से खेले जा रहे हैं

Monday, May 20, 2024

इश्क - शादी के बाद

इश्क - शादी के बाद

क्या नाकाम इश्क ही, मुहब्बत की है मिसाल  
लोगों का है वो ख्वाब जो खुद है इक सवाल  
हदों को तोड़ ख़लिश सा अटका पड़ा दिलों में 
आरज़ू के पंख पसार है उलझा पड़ा रिवाजों में   

शीरी फरहाद, लैला मजनू, सोहनी महिवाल
हैं ये नाम, नाकाम इश्क के बेहतरीन मिसाल
क्यूं आम इंसान इश्क की मिसाल बन नहीं सकता
ज़िन्दगी से लड़ता प्यार का दामन थाम नहीं सकता

इश्क है चाहत, जो पनपता है, बढ़ता है धीरे-धीरे
अहसास बन छाता दिलों पर, उभरता है हौले-हौले
मीठी-मीठी बातों में छोटी-छोटी अदाओं में दिखता है 
भीनी मुस्कान में, हर पल की सदाओं में झलकता है 

जवां दिलों की धड़कन बन, उम्र के साथ आता है
प्यास जगाता हैं, चाहत बढ़ाता है, रोज तड़पाता है
चंचल मन, कहीं भटकता है, नयी चाह बन उभरता है
सपनों में लीन, सच से दूर, अनजान में अंटकता है

शादी-शुदा का भी तो इश्क है, उनके लिए बंदगी सा
रोजमर्रा के जद्दोजहद में भी करते हैं प्यार जिन्दगी
शादी है नहीं मकाम इस इश्क का, है यह आगाज
जिम्मेदारियों के बीच भी, प्यार का होता है परवाज

शादीशुदा का प्यार है फुलवारी जो मेहनत है मांगता
अपनापन की क्यारी, देखरेख और निगरानी है चाहता
सच्चाइयों की आग, जरुरतों की तपिश पर निखर
सोने की तरह, इश्क, जेवर सा ढल, बनता है प्रखर

बोली में मिश्री, आंखों में चाहत, दिल में बेकरारी
अटूट विश्वास, मन में आस, होंठों पे मुस्कान प्यारी
सुख में साथ, दुःख में बढ़ा, थामे मजबूती से हाथ
बीती बातें बिसार, प्यार की राह पर, रहता है साथ

दिखता जितना, शादीशुदा का इश्क, नहीं आसान उतना   
जो है जैसा,अपना, रोज़ प्यार जताना, है मुश्किल कितना
विश्वास के पाये, आदर की दीवार, स्नेह की छत चाहिए
प्यार के परिंदे को आशा के पंख,सपनो का आकाश चाहिए

इश्क के घरौंदे में साथ-साथ रहना, पास-पास नहीं होता
दिलों में खिंच, अनजान सी कसक का अहसास दे जाता 
आंखों से निकल, भीनी मुस्कान बन होंठों पे खिंचता है
जीवन में हर पल निखर, संवरता है, खुशियों में खिलता है

प्यार भरा दाम्पत्य, सुख के सपनो को साकार किए होगा 
सौहार्दपूर्ण माहौल बना, अभावों से परे, जीवन जिए होगा
जिम्मेदारियां बखूबी निभा, संतानों को सबक दिए होगा
भविष्य गढ़ा होगा, चाहत भरा होगा, स्नेह जिए होगा

राजीव सिंह
नोएडा
जनवरी २०२०