Monday, November 3, 2025

नारी का स्नेह 💕

नारी का स्नेह

❤️💕

राजीव “रंजन”

नेह स्नेह की धारा बन कर

सींचा जीवन सहारा बन कर

अपनों का संसार बसाया

मेहनत से घर बार सजाया

भरा पूरा परिवार खड़ा है

क्या सब रत्न ऐसे ही जड़ा है

किसी का खून पसीना था

किसी का स्नेह सफ़ीना था

वर्षों का था अथक परिश्रम

स्नेह पाश में बाँधे हर दम

जीवन आसान नहीं उतना है

दिखता सरल सबको जितना है

दिन रात सोती नहीं जो

इंतज़ामों में खोती कहीं वो

कौन जानता उसके मन का

हालत क्या उसके तन का

मंजिल सभी देखा करते हैं

पावों के छाले कहाँ दिखते हैं

वर्षों बीते युग बीता है

उम्र गुजरी पर मन जीता है

अपनों को देख फलते फूलते

खुशियों के झूले जब झूलते

नारी आज भी खड़ी वहीं है

स्नेह से सींचती सभी कड़ी है

अपने हों या पराए हों सब

फर्क कहाँ किया किससे कब

स्नेह का मीठा झरना बनकर

बहती जाती “रंजन” रम कर

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